Wednesday, January 9, 2013

देह का सम्मान करों " ~ ओशो : -

" मैं चाहता हूं कि तुम इस सत्य को ठीक-ठीक

अपने अंतस्तल की गहराई में उतार लो।

देह का सम्मान करे, अपमान न करना।

देह को गर्हित न कहना: निंदा न करना।

देह तुम्हारा मंदिर है।

मंदिर के भीतर देवता भी विराजमान है।

मगर मंदिर के बिना देवता भी अधूरा होगा।

दोनों साथ है, दोनों समवेत,

एक स्वर में आबद्ध, एक लय में लीन।

यह अपूर्व आनंद का अवसर है।

इस अवसर को तूम खंड सत्यों में न तोड़ो। "

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